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निशार मा दूपूरे गिये देखलो जे और्जुन आज तारा-तारी अफिस थेके बारी चले एशेछे।
तार पर मने परलो आज तो सोनीबार हाफ्डे,
किन्टु इते कौन समश्या नहीं भेबे जे और सामी ओके आज किछुई बोलते पारबे ना।
ताइ दरजा, खुले दिल निशार मा और्जुन घरे धूके एइ अबस्ता देखे हाहोए गयलो पुरो-पुरी।
घरेर भीतोर एक ता अजाना-अचेना छेले तार बोहेर एक टी पाक आधे तुले निये,